आधुनिक यांत्रिक समाज में हमारी विवश्ता, मानसिक विक्षेप एवं निरंतर बढ़ती हुई आंतरिक कुंठा के क्षणिक उपचार का द्योतक है।
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आधुनिक यांत्रिक समाज में यह हमारी विवशता, मानसिक विक्षेप, भोगैषणा एवं निरंतर बढ़ती हुई आंतरिक कुंठा के क्षणिक उपचार का द्योतक है।
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आधुनिक यांत्रिक समाज में यह हमारी विवशता, मानसिक विक्षेप, भोगैषणा एवं निरंतर बढ़ती हुई आंतरिक कुंठा के क्षणिक उपचार का द्योतक है।
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आधुनिक यांत्रिक समाज में यह हमारी विवशता, मानसिक विक्षेप, भोग विलासिता एवं निरन्तर बढ़ती हुई आंतरिक कुंठा के क्षणिक उपचार का द्योतक है, परन्तु यह हमारे विघटनशील समाज के सहज अंग के रूप में हमेशा से विधमान रही है।